Prathna pustak
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Description
ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, एवं अथर्ववेद ! सर्वप्रथम इन चार वेदों पर आधारित भारतीय संस्कृति का विश्व में उदय हुआ। वेदों के प्रकाश में श्रीराम और श्रीकृष्ण आलोकित हुए लेकिन कुछ अवसरवादियों ने अपने लाभ के लिए पाखण्ड ग्रन्थ रचे और कहा वेद पाताल में चले गये जबकि स्वामी दयानन्द जी ने सच्चे ज्ञान की जिज्ञासा हेतु वेदों को खोज निकाला। पाखण्ड खण्डन हेतु सत्यार्थ प्रकाश की रचना की जिसमें परमात्मा के अनन्त नामों को बताया। परमात्मा के अनन्त नाम परमात्मा अनन्त है। वह अपार है। उसका कोई भी पारावार नहीं पा सकता। उसके गुण और कर्म भी अनन्त हैं। परमात्मा के इतने नाम हैं कि हमारी निर्बल लेखनी और वाणी में यह सामर्थ्य नहीं कि हम उनका वर्णन कर सकें। स्वामी दयानन्द जी महाराज ने सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास में इन अनन्त नामों में से एक सौ नामों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है जिनको हम यहाँ संक्षेप में दे रहे हैं।
Additional information
Weight | 115 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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