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Paniniya-Ashtadhyayi-Pravachanam (Simple Sanskrit commentary of Ashtadhyayi and Hindi commentary called ‘Aryabhasha’) Part 1-6

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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् दिनांक ११ अक्तूबर १९९६ को जनकपुरी नई दिल्ली आर्यसमाज के उत्सव पर स्वामी ओमानन्द जी पधारे और उनका रात्रि-सभा में वेद-विषयक प्रभावशाली व्याख्यान हुआ और मुझे प्रेरणात्मक आशीर्वाद दिया कि तुम अष्टाध्यायी का एक अच्छा भाष्य लिख दो। मैं उसे प्रकाशित कर दूंगा। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के आशीर्वाद से ही यह ‘पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्’ नामक अष्टाध्यायी का भाष्य पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किया जा रहा है। स्वामी जी महाराज ने ही ‘ब्रह्मर्षि स्वामी विरजानन्द आर्ष धर्मार्थ न्यास’ गुरुकुल झज्जर (हरयाणा) की ओर से प्रकाशित किया है। भूमिका २६ इस में पाणिनीय अष्टाध्यायी के सूत्रों की पदच्छेद, विभक्ति, समास, अन्वय, अर्थ और उदाहरण आत्मक संस्कृतभाषा में व्याख्या की गई है और आर्यभाषा नामक हिन्दी टीका में सूत्रों का पदोल्लेख साहित, अर्थ, उदाहरण, उदाहरणों का हिन्दी भाषा में अर्थ और उदाहरणों की कच्ची सिद्धि भी दी गई है। कहीं-कहीं विशेष’ नामक सन्दर्भ में विषय को सुस्पष्ट किया गया है। मैंने सन् १९४७ से ५१ तक श्रद्धेय पं० आचार्य भगवान्‌देव जी तथा गुरुवर विश्वप्रिय शास्त्री जी के चरणों में बैठकर पाणिनीय व्याकरणशास्त्र का अध्ययन किया था। आज ५० वर्ष के पश्चात् स्वामी जी महाराज के आशीर्वाद से यह पाणिनीय अष्टाध्यायी-प्रवचनम् नामक प्रयास पाठकवृन्द की सेवा में प्रस्तुत किया है। इसमें यदि कोई गुण दिखाई देता है वह सब मेरे गुरुजनों का शुभ आशीर्वाद है और जितने भी इसमें कोष दुष्टिगोचर हो रहे हैं वह सब मेरी अल्पज्ञता ही समझनी चाहिए । संस्कृत व्याकरणशास्त्र एक विशाल अरण्यानी है। इसमें मुझ जैसे साधारण व्याकरण-विद्यार्थी से भूल-चूक रह जाना कोई बड़ी बात नहीं है। यदि कोई भूल दृष्टिगोचर हो तो वैयांकरण विद्वान् मुझे सूचित करने का अनुग्रह करें जिस से उसे आगामी सस्करण में बहिष्कृत किया जा सके। धन्यवाद- मेरे बड़े भाई पं० वेदव्रत जी शास्त्री (सहपाठी) ने उत्तम मुद्रणकार्य तथा स्थान-स्थान पर संशोधन के सुझावों से कृतार्थ किया है। आर्ष गुरुकुल नरेला की स्नातिका श्रीमती सावित्री शास्त्री जनता कालोनी, रोहतक ने पाण्डुलिपि तैयार करने में सहयोग प्रदान किया है। श्री सुरेन्द्रकुमार चतुर्वेदी ने उत्तम टंकण कार्य किया है। तदर्थ ये मेरे अतिधन्यवाद के पात्र हैं। – सुदर्शनदेव आचार्य संस्कृत सेवा संस्थान ७७६/३४ हरिसिंह कालोनी, रोहतक

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Weight 4871 g
Dimensions 22 × 15 × 24 cm

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