Rigved Shatkam
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Description
वेद वैदिक संस्कृति के मूलाधार हैं। वेद वह अद्भुत एवं अलौकिक ज्ञान है जो परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यमात्र के कल्याण के लिए दिया था। यह ज्ञान चार ऋषियों को मिला था। ऋग्वेद का प्रकाश अग्नि ऋषि के हृदय में हुआ था।
“संसार के पुस्तकालय में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है”, इस बात को सभी पाश्चात्य विद्वानों ने स्वीकार किया है। जिसने भी वेद पर कुछ परिश्रम किया है, उसी ने वेद के वेदत्व और सर्वाङ्गपूर्णता को स्वीकार करते हुए वेद का गौरव-गान किया है। ऋग्वेद की महिमा का वर्णन करते हुए मैक्समूलर ने कहा-
यावत्स्थास्यन्ति गिरयः सरितश्च महीतले । तावदृग्वेदमहिमा लोकेषु प्रचरिष्यति ।।
अर्थात् जब तक पृथिवी पर पर्वत और नदियाँ रहेंगी तब तक संसार के मनुष्यों में ऋग्वेद की कीर्ति का प्रचार रहेगा।
चारों वेद अपौरुषेय हैं, सभी महत्त्व पूर्ण हैं, परन्तु इनमें ऋग्वेद का विशिष्ट स्थान है। चारों वेदों की गणना में ऋग्वेद का नाम ही सर्वप्रथम लिया जाता है। आकार-प्रकार और मन्त्र-संख्या के अनुसार भी ऋग्वेद
(३)
Additional information
| Weight | 145 g |
|---|---|
| Dimensions | 16 × 10 × 1 cm |
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