Rishi Dayanand Saraswati ke Patra aur Vigyapan Vol. 1-4
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Description
१. पत्र और विज्ञापनों का पाठ हमने उनके मूल उपलब्ध पाठ के अनुरूप ही छापा है। अणुद्ध लिखे गये पाठों को शोधने का यत्न नहीं किया गया है। केवल कहीं-कहीं अल्पविराम अर्थविराम पूर्णविराम प्रश्न आदि के चिह्न लगाये हैं। ५-७ स्थानों पर अत्यधिक लम्बायमान सन्दर्भों को सुगमता के लिये तोड़ कर नये सन्दर्भ बनाये हैं।
२. कुछ पत्र और विज्ञापन मूलतः उर्दू भाषा में लिखे गये थे और श्री पं० लेखराम जी कृत उर्दू जीवन-चरित में छपे थे। उन्हें हम ने जीवन-चरित के हिन्दी संस्करण से लेकर छापा है। यथा पूर्ण संख्या १८८, १८६, १६२, १६३, १६८, १६६, २०१ आदि ।
३. संस्कृत, अंग्रेजी, गुजराती और मराठी भाषा में मुद्रित पत्रादि का जो भाषार्थ छापा गया है, वह भाव-प्रधान है।
४. हिन्दी के टाइप में इ ई उ ऊ ऋ ऋ ए ऐ ओ औ की मात्रायें अनुस्वार तथा ऊपर लगनेवाला रेफ का चिह्न प्रायः छपते-छपते टूट जाते हैं। इनके टूटने से हुई अशुद्धियां सभी प्रतियों में समान रूप से नहीं होती हैं तथा सरलता से पहचानी जा सकती हैं। अतः इस प्रकार की अशुद्धियां संशोधन-पत्र में नहीं दी जायेंगी ।
वस्तुतः निर्दोष छपाई के लिये बम्बईया टाईप ही उपयुक्त होता है। परन्तु उसका भाव तीन गुना अधिक होने और उसका कम्पोज करनेवाले (अक्षर-संयोजकों) के न मिलने तथा उसमें अक्षर-संयोजन (कम्पोज) में अधिक काल लगने से छपाई की लागत ४-५ गुनी बढ़ जाती है। इस कारण मुद्रक हिन्दी ग्रन्थों की छपाई में बम्बईया टाईप काम में नहीं लेते हैं।
५. प्रस्तुत संस्करण में प्रथम और द्वितीय भाग में ऋषि दयानन्द के पत्र और विज्ञापनों का संग्रह होगा। द्वितीय भाग के अन्त में दोनों भागों में छपे पत्त्र और विज्ञापनों से संबद्ध अनेक विषयों के लगभग ११ परिशिष्ट दिये जायेंगे। तृतीय और चतुर्थ भाग में विविध व्यक्तियों द्वारा ऋषि दयानन्द को भेजे गये पत्रों का संग्रह होगा और अन्त में इस भाग में छपे पत्रों से संबद्ध अनेक विषयों के परिशिष्ट दिये जायेंगे ।
Additional information
Weight | 2500 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 12 cm |
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