Sandhi vishay Vedang Prakash Vol 2
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यह सन्धिविषय व्याकरण का प्रथम भाग है। मैनें यह पुस्तक इसलिये बनाया है कि जिससे व्याकरण में जितना सन्धि का विषय है, उसको पढ़नेहारे सुख से समझ लेवें। व्याकरण का यही प्रथम विषय है कि जिसमें अच् के स्थान में हल्, हल् के स्थान में अच् और हल् के स्थान में हलू और अच् के स्थान में अच् भी हो जाते हैं। बिना सन्धि-ज्ञान यह बात मन्त्र में कभी नहीं आ सकती। इसके बिना जो-जो शब्द का प्रथम और महान् स्वरुप होता है, वह वह समझ में कभी नहीं आ सकता। इसके बिना पदार्थ-ज्ञान और वाक्यार्थज्ञान क्योंकर हो सकता है? जब तक यह सब नहीं होता, तब तक मनुष्य का अभीष्ट प्रयोजन भी प्राप्त नहीं हो सकता।
इस ग्रंथ में लोक और वेद का विषय सम्पूर्ण रक्खा है, परन्तु पूर्वापर के स्थान में जो आदेश जिस-जिस नियम से होते हैं, वह वह इसी ग्रंथ से नङ्ग लेने चाहियें। और जो-जो परिभाषा महाभाष्यस्थ हैं, उन सबकी व्याख्या, उदाहरण, प्रत्युदाहरणसहित ‘पारिभाषिक’ ग्रन्थ में लिखी है, कि जो सन्धिविषयादि व्याकरणविषय के ग्रन्थ क्रम से लक्ष्य पर सब सूत्र घटा कर बनाये हैं, जिससे पढ़ने-पढ़ानेहारों को कुछ भी क्लेश न हो। इसलिये जो कोई इन ग्रन्थों को पढें वा पढ़ावें वे सब निम्नलिखित रीति से स्टनपाठन करें और करावें।
जहाँ-जहाँ एक उदाहरण वा प्रत्युदाहरण लिखा है, उसके सदृश दूसरे भी उदाहरण प्रत्युदाहरण ऊपर से पढ़ते-पढ़ाते जायें कि जिससे शीघ्र
Additional information
Weight | 200 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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