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Sankhya Darshanam

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महर्षि कपिल द्वारा प्रणीत सांख्यदर्शन में छह अध्याय हैं। सूत्रों की संख्या- ४५१ और प्रक्षिप्त सूत्रों को मिलाकर (४५१ + ७६=) ५२७ है । इस दर्शन का उद्देश्य प्रकृति और पुरुष की विवेचना करके उनके पृथक्-पृथक् स्वरूप को दिखलाना है, जिससे जिज्ञासु व्यक्ति बन्धन के मूल कारण ‘अविवेक’ को नष्ट करके, त्रिविध दुःखों से छूटकर मोक्ष को प्राप्त कर सके। ४१० – ४१९ सांख्य- शब्द प्रायः गणनार्थक ‘संख्या’ शब्द से ‘सांख्य’ पद की व्युत्पत्ति मानी जाती है-पञ्चविंशतितत्त्वानां विचारः संख्या, तामधिकृत्य कृतो ग्रन्थः ‘सांख्य:’ इति । अर्थात् पच्चीस तत्त्वों की संख्या’ (गणना) के आधार पर इस शास्त्र का नाम ‘सांख्य’ रखा गया है। किन्तु इस हेतु की अन्य दर्शनों में भी अतिव्याप्ति होती हैय क्योंकि वैशेषिक में छह या सात और न्याय में सोलह पदार्थ गिनाकर उनका विवेचन किया है । अतः ‘सांख्य’ का तात्पर्य समझना चाहिए, कि- ‘सम्यक् ख्यानम् = संख्या, तस्या व्याख्यानो ग्रन्थः ‘सांख्य:’ । अर्थात् त्रिगुणात्मिका प्रकृति,

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Weight 528 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

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