Sale!

Sanskrit Vakya Prabodh

Original price was: ₹60.00.Current price is: ₹54.00.

इस “संस्कृतवाक्यप्रबोध” पुस्तक को बनाना अवश्य इसलिये समझा है कि शिक्षा को पढ़ के कुछ-कुछ संस्कृत भाषण का आना विद्यार्थियों को उत्साह का कारण है। जब वे व्याकरण के सन्धिविषयादि पुस्तकों को पढ़ लेंगे, तब तो उनको स्वतः ही संस्कृत बोलने का बोध हो जायगा, परन्तु यह जो संस्कृत बोलने का अभ्यास प्रथम किया जाता है, वह भी आगे-आगे संस्कृत पढ़ने में बहुत सहाय करेगा। जो कोई व्याकरणादि ग्रन्थ पढ़े विना भी संस्कृत बोलने में उत्साह करते हैं, वे में इसको पढ़के व्यवहारसम्बन्धी संस्कृत भाषा को बोल और दूसरे का के भी कुछ-कुछ समझ सकेंगे। जब बाल्यावस्था से संस्कृत बोलने का अभ्यास होगा तो उसको आगे-आगे संस्कृत बोलने का अभ्यास अधिक अधिक ही होता जायगा। और जब बालक भी आपस में संस्कृत भाषण करेंगे तो उनको देख कर जवान और वृद्ध मनुष्य भी संस्कृत बोलने में रुचि अवश्य करेंगे। जहां कहीं संस्कृत के नहीं जानने वाले मनुष्यों के चामने दूसरे को अपना गुप्त अभिप्राय समझाना चाहें तो वहां भी संस्कृत भाषण काम आता है।
जब इसके पढ़ाने वाले विद्यार्थियों को ग्रन्थस्थ वाक्यों को पढ़ावें उस दूसरे वैसे ही नवीन वाक्य बना कर सुनाते जावें, जिससे पढ़ने वालों को बुद्धि बाहर के वाक्यों में भी फैल जाय। और पढ़ने वाले भी एक वाक्य को पढ़के उसके सदृश अन्य वाक्यों की रचना भी करें कि जिससे बहुत गाँव बोध हो जाय, परन्तु वाक्य के बोलने में स्पष्ट अक्षर, शुद्धोच्चारण, सार्थकता, देश और काल वस्तु के अनुकूल जो पद जहां बोलना उचित हो

Additional information

Weight 207 g
Dimensions 22 × 14 × 1 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.