Shanka Samadhan
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Description
प्रश्न 1 : कहते हैं कि दुर्बल व्यक्ति को आत्म-दर्शन नहीं हो सकता। क्या यह सत्य है ? उत्तर : बिल्कुल ठीक है। दुर्बल पुरुष को अपने शरीर का ही पूर्ण दर्शन नहीं होता है तो आत्म-दर्शन कहाँ होगा। अपने आत्मा के दर्शन करने के लिए तो बड़ी योग्यता की आवश्यकता है क्योंकि लाखों आदमी शरीर से बड़े बलवान् होते हुए भी यह नहीं जानते कि हम क्या हैं ? उन्होंने समझा हुआ है कि हम तो जितने भूत हैं- अग्नि, पानी वगैरा उसके Compound हैं। तो जो दुर्बलेन्द्रिय है कमज़ोर आदमी, वह किस प्रकार से यह कोशिश कर सकता है कि मैं क्या हूँ? मेरा आत्मा क्या है ? उसको जान नहीं सकता है। इसलिए जो कुछ लिखा है, वह ठीक लिखा हुआ है। प्रश्न 2: वे लोग जो मूर्तियों के सामने लगातार 1-2 घंटे सन्ध्या-वन्दन में लगे रहकर जो लाभ करते हैं क्या वैसा ही लाभ उस प्राणी को मिल सकता है जो अपने मन में दिन-रात, उठते-बैठते, काम-धन्धा करते हुए अपने मन को प्रभु-चरणों में लगाए रखे, हर हाल में उसी में लगा रहने का प्रयत्न करे ? उत्तर : कभी भी तबियत में यह ख़याल न रखिए कि जो आदमी कई घंटे उपासना कर रहा है, जिसका नाम उसने उपासना रखा है वह ज़रूर अपने अन्दर परमात्मा के गुणों को धारण कर रहा है। यह ख़याल आप तबियत से हटा दीजिए। कई घंटे बैठना इस बात की दलील नहीं है कि वह सच्चा उपासक है। सच्चे उपासक की निशानी यह है कि उसके बर्ताव में, उसके व्यवहार में परमात्मा के जैसा व्यवहार नज़र आना चाहिए। न उसके अन्दर राग हो न द्वेष हो, सब की भलाई हो, इत्यादि परमात्मा के गुणों का अक्स उसके अन्दर आना चाहिए। चाहे कोई आदमी ठीक ढंग से परमात्मा की उपासना करता है या कोई दूसरा आदमी दिनभर बैठा परमात्मा का नाम-स्मरण करता है।
Additional information
Weight | 125 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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