Shankhyana Grhya Sutram
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शाङ्खायनगृह्यसूत्र
डॉ. जमुना पाठक (हिन्दी व्याख्या सहित)
ऋग्वेदीय गृह्यसूत्रों के प्रकाशन की शृङ्खला में शाङ्खायनगृह्यसूत्र का प्रकाशन द्वितीय कड़ी है। सम्प्रति ऋग्वेद के तीन गृह्यसूत्न उपलब्ध हैं – आश्वलायनगृह्यसूत्र, शाङ्खायनगृह्यसूत्र और कौषीतकिगृह्यसूत्र । यद्यपि तीनों गृह्यसूत्त्रों का प्रकाशन संस्कृतभाष्य के साथ हुआ है जो हिन्दी माध्यम से वेद का अध्ययन करने वाले व्यक्ति के अवबोधन के लिए दुरूह है। गृह्याग्नि में सम्पन्न होने वाले संस्कारों, प्रतिदिन की धार्मिक क्रियाओं से सम्बन्धित तथा गृहस्थ के कर्मों की विवेचना करने के कारण द्वितीय शृङ्खला को गृह्यसूत्र कहते हैं। इसमें घरेलू जीवन से सम्बद्ध दैनिक, पाक्षिक, मासिक तथा वार्षिक यज्ञों का विवेचन किया गया है। शाङ्खायनगृह्यसूत्र ऋग्वेदान्तर्गत शांखायन शाखा का गृह्यसूत्र है। यह गृह्यसूत्न छः अध्यायों में विभक्त है । प्रत्येक अध्याय के अन्तर्गत खण्ड हैं। खण्डों में सूत्रों का सन्निवेश है। प्रथम अध्याय के अन्तर्गत २८ खण्ड, द्वितीय अध्याय में १७ खण्ड, तृतीय अध्याय में १४ खण्ड, चतुर्थ अध्याय में १९ खण्ड, परिशिष्टाख्य पञ्चम अध्याय में १२ खण्ड और षष्ठ अध्याय में ६ खण्ड हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण ग्रन्थ ९६ खण्डों में विभक्त है। इस ग्रन्थ पर श्रीकृष्णजित् के पुत्त्र नारायण द्वारा प्रणीत गृह्यप्रदीप नामक भाष्य उपलब्ध है। इस भाष्य और शशिप्रभानामक हिन्दी व्याख्या के साथ इस संस्करण का प्रकाशन किया जा रहा है।
₹650.00
Additional information
Weight | 807 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 4 cm |
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