Shanti Mantra
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Description
आधुनिक काल में हुए औद्योगिक विकास और तीव्रतम गति प्रदान करने वाले आविष्कारों के कारण प्राकृतिक संसाधनों का निर्दयतापूर्वक दोहन किया जा रहा है। इंसान की भूख और आवश्यकताएँ इस कदर बढ़ रही हैं कि कुछ दिन के बाद धरती उनकी पूर्ति करने में असमर्थ हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। लगता है कि प्राचीन काल का ऋषि आने वाली इस स्थिति को भाँप रहा था। उसी जमाने के उन ऋषियों ने इन समस्याओं के समाधान के लिए जहाँ यह कहा था- हे मनुष्यो ! तुम त्यागपूर्वक भोग करो। अपने पास अतिरिक्त संचय न करो। लोभ में अन्धे न बनो। धन किसी का हुआ नहीं है। वहीं विशेषतः पर्यावरण की रक्षा के लिए शान्ति-मन्त्र के रूप में संसार का प्राचीनतम पर्यावरण सूत्र भी प्रस्तुत किया था। आइए इस मन्त्र की व्याख्या के द्वारा इसके ठीक अर्थ को समझने का प्रयास करें।
Additional information
Weight | 115 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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