Shuddh Krishnayan
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योगिराज श्रीकृष्ण का जीवन अप्रतिम है। उनका सारा जीवन राष्ट्र तथा लोककल्याण के लिए ही समर्पित रहा। आज भारत में ही नहीं, विश्वभर में भगवान कृष्ण की व्यापकता अनुभव की जा सकती है। परन्तु खेद इस बात का है कि कृष्ण के बाल्यकाल तथा पुराणाश्रित जीवन का ही प्रचार वर्तमान में अधिक हो रहा है। आवश्यकता भगवान कृष्ण के उस सार्वजनिक जीवन को प्रचारित करने की है, जिसमें कदम-कदम पर एक महामानव के दर्शन हमें होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने जिन उदात्त आदशों से अपने जीवन को सुगुम्फित किया था, उसके अल्पांश का भी अनुकरण हम कर लें, तो पूरे राष्ट्र में समता, सहृदयता की ऐसी विमल धारा प्रवाहित हो सकती है, जो हमारे प्यारे राष्ट्र को जगद्गुरु के प्राचीन गौरवपूर्ण स्थान पर अभिषिक्त कर सकती है। परन्तु जब तक श्रीकृष्ण के जीवन से अवतारवाद, चमत्कारवाद को पूर्णरूप से उखाड़ न फेंका जावेगा, गीता गायक श्रीकृष्ण, योगिराज श्रीकृष्ण का स्थान गौण ही रहेगा। भगवत्पाद ऋषि दयानन्द ने प्रबल स्वर में योगिराज कृष्ण को महामानव का दर्जा देकर “आप्त पुरुष” घोषित किया। आज हमारे देश में भागवत कथाओं, कृष्ण लीलाओं का बाहुल्य है, पर कृष्ण की प्यारी गौ पर आज भी आरी चलती है। जिस भारत को अखण्ड महाभारत बनाने का उद्योग श्रीकृष्ण ने जीवनभर किया, वही राष्ट्र भाषा, जाति, कुल वंश व मजहब के आधार पर विघटन के कगार पर खड़ा है। आचार्य प्रेमभिक्षु जी की प्रभावोत्पादक लेखनी से प्रसूत, महाभारत पर आधारित कृष्ण-जीवन चरित्र ‘कृष्णायन’ सुधी पाठकों में सदैव सम्मानित रहा है। आचार्य जी ने जहाँ एक ओर भगवान कृष्ण के प्रेरणास्पद प्रसंगों को भावपूर्ण शैली में निवद्ध किया है, वहीं उनके जीवन के अतिशयों व पुराणाधारित प्रक्षिप्त प्रसंगों की भी युक्तियुक्त व्याख्या की है। सत्यार्थ प्रकाश न्यास द्वारा इस उत्तम ग्रन्थ को सुधी पाठकों तक पहुँचाने का यह कार्य, न्यास की ऐसी ही पूर्व श्रृंखला का एक विस्तार है। इसका स्वागत किया जावेगा, ऐसी आशा करता हूँ।
Additional information
Weight | 300 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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