कष्ट और क्लेश से कराहते मानव की सुख शान्ति का एक ही मार्ग है, दूसरा नहीं। वह मार्ग है जिसे हमारे देश की सरकार ने अपना आदर्श बनाया है और जिसका वर्णन वेद, उपनिषद् तथा ब्राह्मण ग्रन्थ एक स्वर में करते हैं। वह आदर्श है ‘सत्यमेव जयते’ अर्थात् ‘सदा सत्य की जय होती है। शतपथ ब्राह्मण में कहा- असतो मा सद् गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतं गमयेति।’ प्रभो हमें असत्य से सत्य की ओर ले चल, अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चल, मृत्यु न देकर अमृत दे, परन्तु ‘जातस्य हि ध्रुवो मृत्युः’ प्रत्येक वस्तु जो उत्पन्न होती है, वह अवश्य ही नष्ट होती है। अतः यह मृत्यु जिससे हम बचना चाहते हैं, क्या है ? मृत्यु का वास्तविक अर्थ है- दुख, कष्ट, क्लेश, बीमारी, भूख, व्यभिचार, दुराचार, परतन्त्रता, भीरुता, कमजोरी, हार, घूस, ब्लैक और इस प्रकार के सभी दुर्गुण और दुरित। और अमृत का अर्थ है वे सभी सद्गुण और वस्तुयें जो कल्याणकारी हैं। भक्त इच्छित वस्तुओं की इच्छा से और दैन्यता जनित बुरी स्थिति एवं बुराइयों से बचने के लिए प्रार्थना करता है तो कहता है- मृत्यु न दे, अमृत दे। इसी प्रकार अन्धकार के बदले वह ज्योति माँगता है। झूठ अन्धकार भी है, मृत्यु भी। सत्य रोशनी भी है, जीवन भी। तो सत्य की प्राप्ति में ही प्रकाश और अमृत की प्राप्ति भी निहित है। इसलिये- “एकै साधे सब सधे सब साधे सब जाय, जो तू सींचे मूल को फूले-फले अघाय।” इस उक्ति के अनुसार सत्य ही सर्वस्व है। यहाँ तक कि सत्य ही नारायण है। हमारे देश में ‘सत्यनारायण कथा’ का विशेष प्रचलन है। दुःखों से बचने के लिये हम सत्यनारायण की कथा कराते हैं कि हम सत्यनारायण भगवान् के उपासक हैं, फिर भी दुःखी हैं। क्यों? जल के समीप बैठकर हम शीतलता का अनुभव करते हैं और अग्नि के पास बैठकर अग्नि का, पर आनन्दघन सत्यनारायण की उपासना करके भी उसके समीप बैठकर भी आनन्द-शून्य क्यों ? बहुत सीधा सा उत्तर है इसका कि हम उपासना करते तो हैं, पर उसके विज्ञान को बिना जाने। हंम ईश्वर को मानते तो हैं, पर उसके स्वरूप को बिना जाने। विद्युत् (बिजली) कितनी उपयोगी वस्तु है, पर उसका अनेकविधि लाभ वही ले सकता है जो उसके विज्ञान को, उसके रहस्य को जानता है। जो उसके ‘टैकनिक से प्रयोग विधि से अपरिचित हैं वह यदि प्रयोग करेगा तो ‘खतरा’ उपस्थित रहेगा, यहाँ तक कि जीवन हानि भी सम्भव है। ठीक इसी प्रकार उपासना के विज्ञान, उसके रहस्य को बिना जाने उपासना करने वाला उपासना के लाभ ईश्वरीय गुणों से युक्त होकर शान्ति प्राप्ति से तो वञ्चित रहता ही है, प्रायः उसका दुरुपयोग करने से आत्मिक जीवन की हानि भी कर
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