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सुश्रुतसंहिता (Vol. 1–2) | Sushruta Samhita (Vol. 1–2)

Original price was: ₹2,100.00.Current price is: ₹1,750.00.

यह ग्रंथ केवल चिकित्सा का स्रोत नहीं,
बल्कि भारतीय विज्ञान, मानव शरीर और वैदिक ज्ञान के संगम का प्रतीक है।
यह विद्यार्थियों, विद्वानों और वैदिक चिकित्सा के साधकों के लिए एक अमूल्य निधि है।

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Description

सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है (वृहत्त्रयी = चरकसंहिता + सुश्रुतसंहिता +अष्टाङ्गहृदयम्) । यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। धन्वन्तरि द्वारा उपदिष्ट एवं उनके शिष्य सुश्रुत द्वारा प्रणीत ग्रन्थ आयुर्वेदजगत में ‘सुश्रुतसंहिता’ के नाम से विख्यात हुआ। कालक्रम में ५वीं शताब्दी में नागार्जुन द्वारा इस संहिता में उत्तरतन्त्र जोड़ने के साथ-साथ सम्पूर्ण संहिता का प्रतिसंस्कार भी किया गया। इसके बाद १०वीं सदी में तीसटपुत्र चन्द्रट ने जेज्जट की व्याख्या के आधार पर इसकी पाठशुद्धि की। उनका यह योगदान भी प्रतिसंस्कार जैसा ही था। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे। यद्यपि वर्तमानकाल में उपलब्ध सुश्रुतसंहिता में अष्टाङ्ग आयुर्वेद का पर्याप्त वर्णन मिलता है तथापि शल्यचिकित्सा को आधार मानकर निर्मित होने के कारण इसे शल्यचिकित्सा के प्राचीनतम एवं आकर ग्रन्थ के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। आधुनिक शल्यचिकित्सक भी सुश्रुत को शल्यचिकित्सा का जनक मानते हैं। सुश्रुतसंहिता मूलतः ५ स्थानों और १२० अध्यायों (सूत्रस्थान-४६, निदानस्थान-१६, शारीरस्थान-१०, चिकित्सास्थान-४० एवं कल्पस्थान-८ अध्यायों) में विभाजित है। नागार्जुनकृत उत्तरतन्त्र के ६६ अध्यायों को भी इसमें जोड़ देने पर वर्तमान में इस संहिता में कुल १८६ अध्याय मिलते हैं। इसमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है।

Additional information

Weight 2500 g
Dimensions 23 × 18 × 7 cm

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