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Unadikosh Vedang Prakash Vol 13

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* ओ३म्
अथ भूमिको
सब उणादिखणस्थ शब्द इस वक्ष्यमाण एक सूत्र की विशेष व्याख्या में हैं:-
उणादयो बहुलम् ।। अ० ३ । ३ । १ ।।
वर्तमान काल में धातुओं से उणादि प्रत्यय बहुल करके होते हैं।
भूतेऽपि दृश्यन्ते । अ० ३ । ३ । २ ॥
और कहीं कहीं भूतकाल में भी इनका विधान दीख पड़ता है। भविष्यति गम्यादयः । अ० ३ । ३ । ३ ।।
और गमी आदि गणपठित वक्ष्यमाण शब्द भविष्यत्त्काल में ही होते हैं।
उणादिप्रत्ययों के होने के लिये यह तीनों काल का नियम है। गम्यादि शब्द – गमी । आगामी । प्रस्थायी । प्रतिरोधी । प्रतिबोधी । प्रतियोधी। प्रतियोगी। प्रतियायी । आयायी । भावी । इनसे अन्य शब्द भूत और वर्तमान अर्थों के बोधक होते* ओ३म्
अथ भूमिको
सब उणादिखणस्थ शब्द इस वक्ष्यमाण एक सूत्र की विशेष व्याख्या में हैं:-
उणादयो बहुलम् ।। अ० ३ । ३ । १ ।।
वर्तमान काल में धातुओं से उणादि प्रत्यय बहुल करके होते हैं।
भूतेऽपि दृश्यन्ते । अ० ३ । ३ । २ ॥
और कहीं कहीं भूतकाल में भी इनका विधान दीख पड़ता है। भविष्यति गम्यादयः । अ० ३ । ३ । ३ ।।
और गमी आदि गणपठित वक्ष्यमाण शब्द भविष्यत्त्काल में ही होते हैं।
उणादिप्रत्ययों के होने के लिये यह तीनों काल का नियम है। गम्यादि शब्द – गमी । आगामी । प्रस्थायी । प्रतिरोधी । प्रतिबोधी । प्रतियोधी। प्रतियोगी। प्रतियायी । आयायी । भावी । इनसे अन्य शब्द भूत और वर्तमान अर्थों के बोधक होते हैं ।
अब जितनी प्रकृतियों में जितने उणादि प्रत्यय कहे हैं, उतने ही जानना चाहिये वा कुछ विशेष, इसलिये – हैं ।
अब जितनी प्रकृतियों में जितने उणादि प्रत्यय कहे हैं, उतने ही जानना चाहिये वा कुछ विशेष, इसलिये –

Additional information

Weight 243 g
Dimensions 18 × 12 × 2 cm

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