Upnishadon ka Sandesh
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Description
इन उपनिषदों की ओर आर्य-जाति से बाहर पहले किसी की दृष्टि गई तो औरंगज़ेब के बड़े भाई और प्रभुभक्त राजकुमार दारा शिकोह की। वह बहुत विद्वान् था। धर्म- ग्रन्थों से उसे बड़ा प्रेम था। उसने कुरान शरीफ़ को पढ़ा, बाइबल को पढ़ा। कई अन्य धार्मिक ग्रन्थों का भी स्वाध्याय किया। इन सब पुस्तकों को वह ‘आस्मानी पुस्तकें’ कहता था। उसका विश्वास था कि ये सब-की-सब आकाश से, ईश्वर से उतरी हैं; परन्तु सबको पढ़ने के पश्चात् भी उसे शान्ति नहीं मिली; मन को सन्तोष नहीं हुआ। यह आज से ३२० वर्ष पूर्व की बात है। तब किसी ने उसे बताया कि हिन्दुओं के पास एक ऐसा ग्रन्थ है जिससे शान्ति मिलती है, सन्तोष मिलता है। यह भी ज्ञात हुआ कि उस ग्रन्थ का नाम उपनिषद् है। यह भी पता चला कि उपनिषद् को जाननेवाले विद्वान् ब्राह्मण काशी में रहते हैं। कश्मीर से वह बनारस पहुँचा। वहाँ कितने ही विद्वान् ब्राह्मणों को एकत्रित करके उसने उपनिषद् सुनने आरम्भ किये। ज्यूँ-ज्यूँ सुने, त्यूँ-त्यूँ उसके मन में एक विचित्र शान्ति उत्पन्न हुई। सुनता रहा। सुनने के पश्चात् इच्छा हुई कि शान्ति देनेवाले इन ग्रन्थों को स्वयं पढ़ें, एकान्त में बैठकर इनपर विचार करूँ। यह सोचकर उसने निर्णय किया कि “संस्कृत पढ़ेंगा।”
Additional information
Weight | 207 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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