Uttar Ram Charitam (Mahakavi Shri Bhavbhuti Praditam)
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Description
महाकाव्य की पृष्ठभूमि
महाकवि श्री भवभूति का ‘उत्तररामचरितम्’ भारतीय काव्य परंपरा में एक विशेष स्थान रखता है। यह काव्य, जो संस्कृत में लिखा गया है, रामायण के कथानक के उत्तरार्ध का विस्तृत रूप प्रदान करता है। भवभूति की रचनाएँ न केवल उनके काव्यात्मक कौशल को दर्शाती हैं, बल्कि उनके समय की सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं का भी चित्रण करती हैं। ‘उत्तररामचरितम्’ का रचनाकाल 8वीं से 9वीं शताब्दी के बीच माना जाता है, यह समय भारतीय साहित्य के लिए क्रांतिकारी बदलावों का गवाह था।
श्री भवभूति का जन्म उड़ीसा में हुआ, और उनका नाम भारतीय साहित्य में एक अद्वितीय धरोहर के रूप में विख्यात है। उन्होंने ‘महाकाव्य’ की परंपरा में अपने योगदान से काव्य को एक नई ऊँचाई दी। ‘उत्तररामचरितम्’ के माध्यम से लेखक ने न केवल पात्रों की मानसिकता और मन की गहराई को छूने का प्रयास किया, बल्कि विविध भावनाओं जैसे प्रेम, बलिदान, और करुणा को भी अभिव्यक्त किया।
महाकवि का लेखन शैली उनकी मौलिकता को दर्शाता है। उनके काव्य में अलंकारिक भाषा, नाटकीयता और प्राकृतिक चित्रण का समावेश है, जो पाठकों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। ‘उत्तररामचरितम्’ का प्रभाव भारतीय साहित्य पर आज तक कायम है और यह न केवल एक काव्य रचना है बल्कि यह एक सांस्कृतिक दस्तावेज़ भी है, जो हमें रामायण की कहानी को नया रूप और दृष्टिकोण प्रदान करता है। इस प्रकार, महाकवि श्री भवभूति का यह महाकाव्य भारतीय साहित्य में एक मूल्यवान योगदान है, जो मानवीय भावनाओं और नैतिकता की गहराइयों को उजागर करता है।
कथानक और पात्रों का विवेचन
उत्तररामचरितम्, महाकवि श्री भवभूति की एक अनुपम कृति है, जिसमें राम के जीवन की अंतिम घटनाओं का वर्णन किया गया है। यह नाटक न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवीय भावनाओं, विशेषकर प्रेम, त्याग और दर्षन में गहराई प्रदान करता है। इस काव्य में वे पात्रों का विकास विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है जो दर्शाते हैं कि कैसे विभिन्न हालात में मनुष्य की नैतिकता और उसके निर्णय प्रभावित होते हैं।
कहानी की धुरी राम हैं, जो आदर्श नायक के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। राम का चरित्र न केवल नियमों और नैतिकता का प्रतीक है, बल्कि वह एक सच्चे मानवता के प्रतिनिधि भी हैं। उनके साथ सीता का पात्र है, जो अपने पति के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को दर्शाती है। सीता का संघर्ष और सयुक्त परिवार के प्रति उसकी निष्ठा कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाता है। लक्ष्मण, राम के भाई, उनके सहायक और उनकी प्यारी साथी है, जो हमेशा राम की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। उनके बीच का बंधन न केवल भाई-भाई का है, बल्कि यह साहस और वफादारी का भी प्रतीक है।
महाकवि भवभूति ने संवाद और घटनाक्रम के माध्यम से पात्रों के मनोविज्ञान को बखूबी प्रस्तुत किया है। उन्होंने विभिन्न कठिनाइयों के बीच पात्रों के विचारों और भावनाओं का गहरा विश्लेषण किया है, जिससे पाठक पात्रों की जटिलताओं को बखूबी समझ सकते हैं। उनके संवादों में एक गहनता है, जो नाटक के संदर्भ में न केवल मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती है। इस प्रकार, उत्तररामचरितम् सिर्फ एक नाटक नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा स्रोत भी है, जो चरित्र विकास और रिश्तों की महत्ता को स्पष्ट करता है।
Additional information
Weight | 300 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 3 cm |
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