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Varnocharana Shiksha Of Panini Muni

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Description

आजकल देवनागरी वर्णों के उच्चारण में बहुधा जो-जो गड़बड़ हुई है, उस-उस को छोड़कर यथायोग्य वर्णों का उच्चारण मनुष्य करें। जैसे ‘ज्ञा’ इसमें ज्+ञ्+आ ये तीन अक्षर मिले हैं। इनका उच्चारण भी जकार, ञकार और आकार ही का होना चाहिये। किन्तु ऐसा न हो कि जैसे दाक्षिणात्य लोग, अर्थात् द्राविड़, तैलङ्ग, कारणाटक और महाराष्ट्र नान; गुजराती लोग ग्यान; और पञ्च गौड़ न्यान ऐसा अशुद्ध उच्चारण अन्ध-परम्परा से वेदादिशास्त्रों के पाठ में भी करते हैं। ऐसे ही पञ्च गौड़ प्रायः ष के स्थान में स का, और कोई-कोई ख का, और य के स्थान में ज का उच्चारण करते हैं। वैसे ही बङ्गाली लोग ष और स के स्थान में भी श का उच्चारण किया करते हैं। यह अन्ध-परम्परा नष्ट होकर शुद्धोच्चारण की परम्परा होनी योग्य है।

और जैसे पाणिनिकृत शिक्षा में तिरसठ अक्षर वर्णमाला में माने हैं, उनकी गणना पूरी करने के लिये कई लोगों ने (कुं खुंगुं घुं) इन चार को यम मानकर तिरसठ अक्षर पूरे किये हैं। भला यहाँ विचारना चाहिये कि जब पूर्वोक्त यम हैं तो (चुंछें जुंझुंटुंटुं) इत्यादि यम क्यों न हों? और जो कोई कहे कि (पलिक्क्नी, चख्ख्नतुः, जग्मिः, जघ्घ्नुः) इत्यादि में (क् ख् ग् घ्) ये वर्ण यम कहाते, और प्रातिशाख्य में भी प्रसिद्ध हैं,

Additional information

Weight 50 g
Dimensions 18 × 12 × 1 cm

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