Veda Aur Arya samaj Visheshank
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वेदवाणी के उनहत्तरवें वर्ष का प्रथम अङ्क वेद और आर्यसमाज’ विषय को प्रतिपाद्य बनाते हुए विशेषाङ्क के रूप में
Description
वेदवाणी के उनहत्तरवें वर्ष का प्रथम अङ्क वेद और आर्यसमाज’ विषय को प्रतिपाद्य बनाते हुए विशेषाङ्क के रूप में आप सभी सुधी पाठकों के करकमलों में शोभायमान है। भूयोविद्य कृपालु लेखकों नगर में सागर का आश्रय लेते हुए पर्याप्त कृपावृष्टि अतः विशेषाङ्क सामान्य से कुछ अधिक ही बड़ा ह गया है। सभी लेखक महानुभावों के हम हृदय से आभारी हैं साथ ही परम कृपालु परमेश्वर से प्रार्थना कने हैं कि लेखकों की यह कृपादृष्टि हम पर सदैव बानी रहे।
आज का विचारशील बुद्धिजीवी वर्ग प्रायः नकारात्मक सोच को लेकर समस्याओं का रोना रोता है कि असहिष्णुता, हिंसा, असत्याचार, विश्वासघात, बलात्कार, सम्बन्ध-विच्छेद, गैरजिम्मेदारी आदि अवगुण बहुत बढ़ गये हैं। बच्चे या युवक कहना नहीं मानते हैं नोंडिया (प्रिंट मीडिया अथवा इलेक्ट्रोनिक मीडिया) में प्रायः इसी प्रकार की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर
प्रदर्शित करता है। तथाकथित धार्मिक या विद्वद्-जगत् की भी लगभग यही स्थिति है क्योंकि यहां भी एक-दूसरे को अपमानित या कलङ्कित करने में ही अपनी योग्यता का प्रदर्शन अधिक होता है। यही स्थिति राजनैतिक क्षेत्र की भी है। यदि और अधिक कहें तो समाज के लगभग प्रत्येक स्तर पर नकारात्मकता व्याप्त है। इसके निदान (कारण) पर चिन्तन नहीं करते कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है ?
किसी समस्या का समाधान जिस वर्ग के पास है वस्तुतः उस समस्या का कारण भी किसी न किसी रूप में वही है। जैसे किसी रोग की चिकित्सा का प्रबन्ध चिकित्सक के पास है तो रोग होने में कारण भी वही है, क्योंकि उसने समय रहते स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा नहीं की। इसीलिए आयुर्वेद में कहा है कि आयुर्वेद का प्रयोजन जहां रोगी को ठीक करना है वहीं रोग न होने देना अर्थात् उसे सदैव स्वस्थ रखना भी प्रयोजन है। इसी प्रकार उक्त समस्याओं के लिए
Additional information
Weight | 269 g |
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Dimensions | 22 × 17 × 1 cm |
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