Vedant Darshan Ka Itihas – by Acharya Udayveer Shastri
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भारतीय परम्परा के अनुसार महर्षि वेद व्यास “वेदान्त दर्शन” के कर्त्ता हैं। यह वेद व्यास कोई मध्यकालीन व्यक्ति नहीं, अपितु प्राचीन आचार्य हैं। वेदांत दर्शन के कतिपय स्थल ऐसे हैं, जिनमें बौद्ध, जैन, पाशुपति और पंचरात्र आदि मतों की मान्यताओं का निराकरण उद्भासित होता है। इस उद्गम के आधार पर पाश्चात्य विद्वान वेदान्त दर्शन को बौद्ध जैनोत्तर काल की कृति मानते हैं। पंडित श्री उदयवीर शास्त्री ने अपनी कृति वेदान्तदर्शन का इतिहास के अध्यायों में ऐसे समस्त स्थलों की चीरफाड़ की है। अतिदीर्घ उहापोह के पश्चात् पंडित जी इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि वेदान्त दर्शन के कर्त्ता सुप्रसिद्ध बादरायण वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने महाभारत की रचना की और जो “वेद व्यास” और कृष्ण द्वैपायन नामों से भी प्रख्यात हैं। इस ग्रन्थ में नाना पक्ष-विपक्षों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक दिशा सुझाई गयी है। इस पन्द्रह अध्यायों की पुस्तक के प्रतिपाद्य विषय निम्न है – १) ब्रह्मसूत्र विवेचन २) ब्रह्मसूत्र रचियता कौन? ३) ब्रह्मसूत्रों का वेदव्यासकर्तृत्व और पाणिनि ४) ब्रह्मसूत्रों का रचना काल ५) आर्हत पाशुपति पांचरात्र मत निराकरण ६) आध्यात्म की प्राचीन आर्ष परम्परा ७) ब्रह्मसूत्रों का तात्पर्य द्वैत अथवा अद्वैत में ८) ब्रह्मसूत्रों के भाष्यकार ९) आचार्य शंकर और उनकी गुरु परम्परा १०) आचार्य शंकर का काल ११) आचार्य शंकर के उक्त काल में आपत्ति विवेचन १२) आचार्य शंकर और बौद्ध दार्शनिक १३) भगवान बुद्ध तथा बौद्ध दार्शनिको का तथाकथित काल १४) दो विद्वानों के विशिष्ट लेख यह इतिहास विषयक महत्वपूर्ण ग्रन्थ शोध विद्यार्थियों एवम् सनातन प्रेमियों के लिए अति लाभकारी होगा।
Additional information
| Weight | 700 g |
|---|---|
| Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
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