Vedas and Nirukta
Original price was: ₹30.00.₹27.00Current price is: ₹27.00.
Description
‘वेद और निरुक्त’ आदि निबन्ध ‘आर्यविद्वत्सम्मेलन’ के लिए सन् १९३२ में काशी में लिखे गए थे। श्रीमान् डॉ० लक्ष्मणस्वरूप जी एम० ए० प्रिंसिपल गर्वनमेण्ट ओरियण्टल कॉलेज लाहौर के प्रेमपूर्वक आग्रह से पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से उसकी ‘ओरियण्टल’ नाम्नी त्रैमासिक पत्रिका में सम्भवतः सन् १९३३ में प्रकाशित हुए थे। उक्त पत्रिका में से ‘श्री रामलाल कपूर ट्रस्ट सोसाइटी लाहौर’ द्वारा केवल १०० प्रतियाँ पुनः प्रकाशित (Reprint) कराई गई थीं। बहुत दिनों से इनकी माँग अत्यधिक हो रही थी। बहुत से विद्वानों को निराश भी होना पड़ा। अतः ट्रस्ट ने इनको परिवर्त्तित-परिवर्धित रूप में पुनः प्रकाशित करना तथा वेदार्थ-प्रक्रिया के अनेक वादों के विषय में बहुत से प्राचीन निबन्धों का प्रकाशन आरम्भ किया है।
इस निबन्ध में वेदार्थ-प्रक्रिया के मुख्य ग्रन्थ यास्कमुनिकृत निरुक्त के आधार पर वेदों का अपौरुषेयत्व, ऋषियों का मन्त्रद्रष्टृत्व, वेदों का नित्यत्व, ब्राह्मणों का स्वरूप, पदपाठ, यौगिकवाद तथा निरुक्त का सम्पूर्ण (चारों वेदों के) वेदार्थ से सम्बन्ध इत्यादि अनेक आवश्यक विषयों पर गहरा प्रकाश डालने का यत्न किया है, जिनसे विदेशी विद्वानों, वा उनके अनुयायी विद्वान् कहे जाने वालों द्वारा फैलाई गईं अनेक मिथ्या धारणाओं का नाश हो जाता है, साथ ही देवतावाद के सिद्धान्त पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला गया है, जिससे देवतावाद के शुद्ध स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करने में बहुत कुछ सहायता मिल सकती है।
ऋषि दयानन्द ने अपने वेदभाष्य अर्थात् वेदार्थ में निरुक्त को बहुत उच्च स्थान दिया है। वेद का अर्थ कैसे समझना चाहिए,
Additional information
Weight | 100 g |
---|---|
Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.