Vedic-Chhanda Mimamsa
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वेद के विद्वानों पाठकों और स्वाध्यायशील महानुभार्थी के करकमलों में “वैदिक छन्दोमीमांसा” पन्य उपस्थित कर रहा हूँ। वैदिक छन्दःशास्त्र का विषय अतिगम्भीर और बहुत विस्तृत है। प्राबीनकाल में वैदिक छन्दः-सम्बन्धी बहुत से प्रम्य विद्यमान थे। वे प्रायः कराल काल के चक्र में लुप्त हो गये । इस समय उनमें से कतिपय प्रग्थों और प्रत्यकारों के हो नाम विद्यमान संस्कृत्-वाङमय में, उपलब्ध होते हैं ।’ इस’ समय निम्न झाठ ऐसें छन्दोप्रन्य मिलते हैं, जिनमें वैदिक छन्दों का प्रपञ्च उपलब्ध होता है- १- ऋक्प्रातिशाख्य २- ऋक्सर्वानुक्रमणी ३- निदानसूत्र ४- उपनिदानसूत्र ५-शाङ्खायन श्रौत ७- छन्दःसूत्र ८- छन्दः सूत्र शौनक-प्रोक्त कात्यायन-प्रोक्त पतञ्जलि-प्रोक्त गाग्यं-प्रोक्त श। ह्वायन-प्रोक्त पिङ्गल-प्रोक्त जयदेव-प्रोक्त ६- ऋगर्थदीपिका-अन्तर्गत छन्दोऽनुक्रमणी’ वेङ्कटमाघवकृत इन साठ प्रन्यों में से प्रथम ६ प्रन्थों के मुख्य प्रतिपाद्य विषय अन्य-धन्य हैं, इनमें प्रसंगात् वैदिरु छन्दों के लक्षण और प्रपञ्च दर्शाये हैं । केवल १. ८० – यही ग्रन्थ, पृष्ठ ५६-६६ । २. वेङ्कट माधवकृत-ऋगर्थदीपिका (ऋरभाष्य) के अन्तर्गत निरूपित स्वर प्रादि ८ विषयों की प्रनुक्रमणियां ‘ऋग्वेदानुक्रमणी’ के नाम से पृथक् प्रकाशित की हैं। इनकी विस्तृत हिन्दी-व्याख्या श्री पं० विजयपाल जो विद्यावारिधि, धाचार्य, पाणिनि विद्यालय, (रा० ला० क० ट्रस्ट) बहालगढ़ ने की है। इनमें वेदविषयक अत्यन्त गूढ़ एवं महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार किया गया है।
Additional information
Weight | 550 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
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