Vedic Sanskriti Ke Mul Tatva
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सदियों की पराधीनता के बाद अब भारत स्वाधीनता के मार्ग पर चल पड़ा है। अब तक हम दूसरों के दिखाये मार्ग पर चलते थे, अब अपने निर्धारण किये हुए मार्ग पर चलेंगे। हमारा मार्ग क्या होगा- यह भविष्यत् बतलायेगा, परन्तु भूत के आधार पर, भारतीय विचारधारा की परम्परा के आधार पर, भारतीय-साहित्य के आधार पर यह बतलाया जा सकता है कि अब तक हमारे मार्ग की दिशा क्या रही है, हम पराधीन होने से पहले सैकड़ों नहीं, हजारों सालों तक किस मार्ग पर, और उस मार्ग पर भी किस दिशा की तरफ चलते रहे हैं। वैदिक-संस्कृति के मूल-तत्त्वों को जानने वालों का यह निश्चित विचार है कि प्राचीन काल में भारत के ऋषि-महर्षियों ने भारत को जिस मार्ग पर डाला था, इस देश के सम्मुख जो लक्ष्य निर्धारित कर दिया था, वही मार्ग और वही लक्ष्य हमारा और संसार का कल्याण कर सकता है, और अब फिर भारत को अपने तथा विश्व के कल्याण के लिये उसी मार्ग पर चलना होगा, उसी ध्येय को अपना लक्ष्य बनाना होगा। भारत के भविष्य का निर्माण अगर ऋषि-मुनियों के निर्धारित किये हुए लक्ष्य को सम्मुख रखकर होगा, तो यह देश फिर से संसार का मार्ग-प्रदर्शक बनेगा, फिर से दुनियाँ का सरताज होगा। परन्तु प्रश्न उठता है कि वह
Additional information
Weight | 414 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 3 cm |
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