Sale!

Vedon Me Purusharth Prerak Yatharthwad

Original price was: ₹80.00.Current price is: ₹72.00.

यह पुस्तक धरोहर के रूप में हमने संग्रहित कर रखी है, अब आगे से इसकी प्रति Spiral Binding में Photocopy करवा कर ही भेजी जाती सकती है क्योंकि अब यह out of print हो चुकी है अतः सिर्फ विशेष अनुरोध पर इस पुस्तक की फोटोकॉपी ही spiral binding करवा कर भेजी जायेगी। पुस्तक की गुणवत्ता ठीक और पढने योग्य है, आप इस पर विश्वास कर सकते है, अगर गुणवक्ता के सन्दर्भ में आपको पसंद नहीं आती है तो आप हमसे संपर्क करें 9314394421

Description

अन्तर्राष्ट्रीय दयानन्द वेदपीठ दिल्ली के तत्त्वावधान में गतवर्ष आर्यसमाज काकरवाडी बम्बई के ११४वें वार्षिकोत्सव पर एक संगोष्ठी सम्पन्न हुई। इस गोष्ठी में “वेदों में पुरुषार्थ प्रेरक यथार्थवाद” पर विवेचना हुई। जिसके अध्यक्ष डा० स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती थे। गोष्ठी वेदपीठ के प्राण श्री मोहनलाल मोहित (मारीशस) के सान्निध्य में हुई। डा० सोमदेव जी (बम्बई) ने संगोष्ठी में प्रस्तुत विषयों का निरूपण किया। डा० भवानीलाल भारतीय, चण्डीगढ़ विश्वविद्यालय, डा० जयपाल विद्यालंकार, नई दिल्ली, श्री क्षितीश वेदालंकार, नई दिल्ली, श्री यू० जी०, थिते, पूना विश्वविद्यालय, डा० ब्रह्ममित्र अवस्थी, इलाहाबाद, डा० वागीश शर्मा, एटा, पं० सत्यकाम वेदालंकार बम्बई, प्रो० शेरसिंह आदि विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किये । ऋग्वेद और दूसरी वैदिक संहिताएँ संसार के प्राचीनतम ग्रन्थ के रूप में लोगों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। लाखों वर्षों तक लोगों ने मौखिक रूप में श्रवण कर इनसे अभ्युदय और निःश्रेयस की प्राप्ति की। वेदों में आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक उन्नति के लिए अनेकत्र अत्यन्त प्रेरक प्रसंग हैं। इन्हीं के कारण संस्कृति और सभ्यता मुखरित हुई है। प्राचीन वैदिक काल में आर्यों की सत्य पर निष्ठा थो। अन्धविश्वास का जीवन में कोई स्थान नहीं था । वेदों से ही प्रेरणा प्राप्त करके लोगों ने व्याकरण, छन्दशास्त्र, संगीत विद्या, विज्ञान, दर्शन, आयुर्वेद, विधिशास्त्र आदि जाना। आर्यों ने वैदिक ज्ञान विज्ञान से जीवन की सभी चुनौतियों का सामना किया ।
गोष्ठी में सम्मिलित दूसरे विद्वानों ने भी इसी प्रकार के विचारों को प्रस्तुत किया । वेदों द्वारा मनुष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी पुरुषार्थ चतुष्टय को प्राप्त कर शाश्वत शान्ति अधिगत कर सकता है ऐसा विद्वानों का विचार था। विद्वानों का एकमत था कि भारत के पतन में अन्धविश्वास, निरपेक्षता, पारस्परिक, सहयोग का अभाव और श्रालस्य प्रधान कारण थे। इन्हीं कारणों से देश हर दिशा से पतनोन्मुख हुआ। विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में केवल वेद ही मनुष्य के सर्वाङ्गीण विकास में सहायक हो सकते हैं वेदों से ही संस्कृति को सुरक्षित रखा जा सकता है। वेदों की शिक्षा उस युग की शिक्षा है जब लोगों में भेद-भाव या किसी प्रकार का धार्मिक अन्धविश्वास नहीं था। मानव समाज जीवन के लक्ष्य की पूर्ति के लिए उचित प्रयास में लगा हुआ था। गोष्ठी के संयोजक कैप्टन देवरत्न आर्य थे ।

Additional information

Weight 160 g
Dimensions 22 × 14 × 1 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.