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Vedon mein Vigyan

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Description

वेदों का वैज्ञानिक महत्व

वेद, भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें ज्ञान, तत्त्व विज्ञान, और अनुशासन का गहन संग्रह है। वेदों में निहित ज्ञान न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह कई वैज्ञानिक तथ्यों के साथ भी मेल खाता है। डॉ. कपिल देव द्विवेदी की शोध प्रवृत्तियाँ इसकी पुष्टि करती हैं कि वेदों में दिखाई देने वाले चिकित्सकीय, ज्योतिषीय, और पर्यावरणीय सिद्धांत न केवल सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि इन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है।

ज्योतिष, जो कि वेदों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, नक्षत्रों की गति और पृथ्वी की स्थिति के आधार पर मानव जीवन पर प्रभाव डालने के तरीके को समझाता है। इस प्रकार, यह ग्रंथ हमें आकाशीय विज्ञान की गहराई में ले जाता है। इसी तरह, स्वास्थ्य विज्ञान के संदर्भ में, वेदों में आयुर्वेद जैसे प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का उल्लेख है, जो रोगों की रोकथाम और उपचार में सहायक सिद्ध हो रही हैं। आयुर्वेद का वैज्ञानिक अध्ययन आज भी उसके सिद्धांतों की प्रासंगिकता को दर्शाता है, जो वैकल्पिक चिकित्सा के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है।

पर्यावरण संबंधी सिद्धांतों पर विचार करते समय, वेदों में जल, भूमि, और वन्य जीवन के संरक्षण की बातें की गई हैं। ये सिद्धांत प्राचीन भारतीय सभ्यता के समर्पण और इसकी प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाते हैं। डॉ. कपिल देव द्विवेदी के अनुसंधान से यह स्पष्ट हो जाता है कि वेदों का वैज्ञानिक महत्व न केवल अद्भुत है, बल्कि आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है।

डॉ. कपिल देव द्विवेदी का योगदान

डॉ. कपिल देव द्विवेदी भारतीय वेदों और विज्ञान के बीच संबंध को स्पष्ट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने अपने शोध कार्यों और लेखन के माध्यम से यह बताया है कि वेदों में उपलब्ध ज्ञान केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध हैं। उनके माध्यम से, हमने यह सीखने का प्रयास किया है कि कैसे प्रसंगवश मौसम, भौतिक विज्ञान और अन्य वैज्ञानिक तथ्यों का वेदों में उल्लेख मिलता है।

डॉ. द्विवेदी ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किए हैं, जिनमें वेदों की वैज्ञानिक व्याख्या को प्रस्तुत किया गया है। उनके प्रयासों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि वेदों में निहित सिद्धांतों का आधुनिक विज्ञान से गहरा संबंध है। उदाहरण के लिए, उन्होंने वेदों में वर्णित जलीय जीवन, आकाशीय घटनाओं और चिकित्सा विज्ञान के सन्दर्भ में अपने शोध कार्यों के द्वारा विस्तृत स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है। इस शोध के माध्यम से, वेदों में वर्णित अमूर्त विचारों को ठोस वैज्ञानिक सोच में ढाला गया है।

इसके अलावा, डॉ. द्विवेदी ने शिक्षण सेवाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बहुत से विद्यार्थियों को वेदों के विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया है। उनके दृष्टिकोण में, वेदों का अध्ययन केवल संज्ञानात्मक ज्ञान नहीं, बल्कि मानवता के लिए दिशा-निर्देश भी प्रस्तुत करता है। वे आगे के लिए अन्वेषण की संभावनाओं पर बल देते हैं और यह सुझाव देते हैं कि आने वाले समय में वैज्ञानिक अनुसंधान में वेदों की अवधारणाओं को शामिल किया जाना चाहिए। उनके विचारों और सिद्धांतों ने यह साबित किया है कि वेदों में निहित ज्ञान हमारे समकालीन युग में भी अत्यावश्यक और प्रासंगिक है।

Additional information

Weight 400 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

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