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Vrihad Viman-shastra

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Description

आर्य जगत् की शिरोमणि सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा की ओर से महर्षि भरद्वाजकृत तीन सहस्र श्लोकों से युक्त वृहद् विमानशास्त्र के भाषाभाष्य को जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे बडी प्रसन्नता है।
यह प्रन्थ विमान-विद्याविषयक अलभ्य सामग्री से परिपूर्ण है जिसमें उक्त विद्या की बडी सूक्ष्मता से विवेचना की गई है। इस ग्रन्थ में विमानों के बहुसंख्यक प्रकारों, नामों, उनके निर्माणै और संचालन के विविध उगयों के वर्णन को पढकर मनुष्य आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकता । निश्चय ही यह ग्रन्थ यन्त्रविद्या और विज्ञान के क्षेत्र में एक बडी क्रान्ति का सन्देशहर सिद्ध होगा ।
रामायण में आए पुष्पक विमान का वर्णन विज्ञान के पण्डितों द्वारा कपोलकल्पना और धर्मभीरु भोले भाले जन-समाज के द्वारा दैव चमत्कार समझा जाता था । आधुनिक काल में जब वेदोद्धारक आर्य समाज के प्रवर्तकं महर्षि दयानन्द ने वेदों के आधार पर इस विद्या की चर्चा की और अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ “ऋग्वेदादिद्भाष्यभूमिका” में एक अध्याय इस विषय के अर्पण किया तो वैज्ञानिकों को मुख्यतः पाश्चात्य विद्वन्मण्डली को विश्वास न हुआ। परन्तु भौतिक विज्ञान और यन्त्रविज्ञान की ज्यों ज्यों प्रगति हुई त्यों त्यों महर्षि दयानन्द के कथन की प्रामाणिकता और प्राचीन भारत में इस विद्या के पूर्ण विकास की सम्भावनाएं प्रतिलक्षित होती गई और वे अमरिका- वासी विदुषी लिसेज हवीलर विल्लोक्ल के शब्दों में इन संभावनाओं को निम्न प्रकार अभिव्यक्त करने के लिये विवश हुए :-
“हमने प्राचीन भारत के धर्म के विषय में सुना और पढा है। यह उन महान् वेदों की भूमि है जहां अत्यन्त अद्भुत ग्रन्थ हैं जिन में न केवल पूर्ण जीवन के लिए ही उपयोगी धर्मतत्त्व बताए गए हैं अपितु उन तथ्यों का भी प्रतिपादन किया गया है जिन्हें समस्त विज्ञान ने सत्य प्रमाणित किया है। बिजली, रेडियम, एलैक्ट्रन्स विमान (हवाई जहाज) आदि सब चीजें वेदों के द्रष्टा ऋषियों को ज्ञात प्रतीत होती हैं।”
अर्वाचीन काल में राइट बन्धुओं को वायु-यान के आविष्कार का श्रेय प्राप्त है । जब उनके बनाए हुए विमान आकाश में उडने लगे तब विज्ञानवेत्ताओं को वैदिक ज्ञान विज्ञान की प्रामाणिकता और महर्षि दयानन्द की स्थापनाओं की सत्यता को स्वीकार करना पडा।
महर्षि भरद्वाजकृत प्रस्तुत ग्रन्थ में “निर्मथ्य तद्वेदाम्बुधिं भरद्वाजो महामुनिः । नवनीतं समुद्धृत्य

Additional information

Weight 525 g
Dimensions 21 × 30 × 1 cm

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