Yah Dhan Kiska hai
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Description
एक बार फिर, पूज्य श्री आनन्द स्वामी जी महाराज की एक अन्य कथा आपके सामने है। इसमें उन्होंने बताया है कि धन-वैभव, सम्पत्ति और शक्ति आदि का ठीक उपयोग क्या है। पूज्य स्वामी जी महाराज को यह कया सन् १६६६ के अगस्त महीने में ‘आर्यसमाज पटेल नगर’ (दिल्ली) में उन दिनों हुई थी जब कांग्रेस दो भागों में बँट रही थी; जब बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने इस देश में एक नई लहर-सी जग्गा दी थी और जब बार-बार ‘सोशलिज्म’ या ‘समाजवाद’ का नाम लिया जा रहा था। यह तो स्पष्ट ही है कि पूज्य स्वामी जी महाराज राजनैतिक व्यक्ति नहीं हैं, किसी राजनैतिक दल से उनका सम्बन्ध नहीं है; ऐसे सीमित सिद्धान्तों और उनके आधार पर निरूपित राजनैतिक आदर्शों से भी उनका सम्बन्ध नहीं है। उनके लिए सभी मानव एक-समान हैं; साब देशा अपने देश हैं; सब जातियाँ अपनी जातियाँ हैं। उनका संसार आत्मा और परमात्मा का संसार है। इस श्राध्यात्मिक दृष्टिकोण से उन्होंने बताया कि मनुष्य को लगातार ऊपर उठानेवाला और सुख ताथा शान्ति की ओर ले-जानेवाला वास्तविक ‘समाजवाद’ क्या है ? घान-वैभव, सम्पत्ति आदि का वास्तविक उपयोग क्या है ? मनुष्य को, जो इस संसार में आया है, रहना कैसे है ? और, उसको करना क्या है ?
पूज्य स्वामी जी महाराज की इस कथा को आपके सामने रखते समय मुझे जहाँ प्रसन्नता होती है कि आध्यात्मिक अमृत का एक और छलकता हुआ प्याला आपके सामने रख रहा हूं, वहाँ मुझे इस बात का खेद भी होता है कि पूज्य स्वामी जी की प्रत्येक कथा मैं आपके सामने रख नहीं सकता । वे संन्यासी हैं; आज यहाँ, कल किसी दूसरे नगर में, परसों तीसरे में; कुछ दिन पश्चात किसी दूसरे देश में, फिर किसी
Additional information
Weight | 230 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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